Chancellor's Message

 
भारतवर्ष प्राचीन काल से ही ज्ञान, विज्ञान, दर्शन और अध्यात्म का प्रखर प्रकाश-स्तम्भ रहा है। इसी सनातन सांस्कृतिक परम्परा के अनुरूप, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, जो प्राचीन नगरी वाराणसी में स्थित है, भारत की वैदिक एवं परम्परागत ज्ञान-परम्पराओं के संरक्षण, संवर्धन और नवोन्मेषी पुनरुत्थान हेतु समर्पित एक विशिष्ट संस्था के रूप में प्रतिष्ठित है।
 
यह विश्वविद्यालय केवल एक शैक्षणिक केन्द्र नहीं है, अपितु भारतीय सांस्कृतिक और बौद्धिक विरासत का सजीव प्रतीक है। यह संस्कृत भाषा का सशक्त प्रहरी, धर्म और सनातन मूल्यों का आलोक-स्तम्भ है, जो आधुनिक मानव जीवन को सतत मार्गदर्शन प्रदान करता है।
 
हमारे दृष्टिकोण के केन्द्र में यह विश्वास है कि ‘विद्या’ केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं, बल्कि मानवीय मनीषा की लुप्त व सुषुप्त स्थिति के जागरण का माध्यम है। जैसा कि शास्त्रों में कहा गया है — “सा विद्या या विमुक्तये” — सच्ची विद्या वही है, जो मुक्ति की ओर ले जाए। इसी आदर्श से प्रेरित होकर विश्वविद्यालय ने संस्कृत को केवल अतीत की विरासत नहीं, बल्कि राष्ट्र के नवजागरण की जीवन्त प्रेरणा के रूप में अपनाया है।
 
आज विश्वविद्यालय के भारतवर्ष में फैले 600 से अधिक सम्बद्ध संस्थानों के माध्यम से लाखों विद्यार्थियों को केवल औपचारिक शिक्षा ही नहीं, बल्कि संस्कार, सांस्कृतिक चेतना, आत्मिक आधार और राष्ट्रीय कर्तव्यों का भाव भी प्रदान किया जा रहा है। साथ ही, हम एक लाख से अधिक प्राचीन पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण और संरक्षण के महान कार्य में संलग्न हैं, जो हमारी ज्ञान-सम्पदा को सुरक्षित रखने की दिशा में एक ऐतिहासिक प्रयास है।
 
विश्वविद्यालय का विशाल परिसर — जिसमें 22 विभाग, 5 संकाय, मंदिर परिसर, सरस्वती भवन(समृद्ध पाण्डुलिपि)पुस्तकालय, आधुनिक प्रयोगशालायें तथा ई-शिक्षा से युक्त अधोसंरचना शामिल है — एक ऐसा अनूठा संगम है जहाँ परम्परा और प्रौद्योगिकी एक-दूसरे को समृद्ध करती हैं। यहाँ शिक्षा केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि अध्ययन- अध्यापन,शास्त्रार्थ, संवाद, मनन और अनुशासन के माध्यम से व्यक्तित्व-निर्माण की साधना है।
 
हम मानते हैं कि संस्कृत की शक्ति केवल कक्षाओं तक सीमित नहीं है। ऑनलाइन शिक्षा, डिजिटल मंचों, सांस्कृतिक प्रसार और वर्चुअल संगोष्ठियों के माध्यम से हम वैश्विक समाज तक पहुँच बना रहे हैं, और संस्कृत को भारत के अतीत और भविष्य के बीच सेतु बना रहे हैं।
 
सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का ध्येय केवल परम्पराओं की रक्षा करना नहीं, बल्कि नवोन्मेष, अनुसन्धान और वैश्विक सहभागिता के माध्यम से उनमें नई प्राण-शक्ति का संचार करना है। हम स्वयं को भारत के ज्ञानात्मक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण में एक सक्रिय भागीदार मानते हैं।
 
जब भारत आज पुनः एक वैश्विक सांस्कृतिक और वैचारिक नायक के रूप में उभर रहा है, तब यह विश्वविद्यालय वेद, दर्शन, आयुर्वेद, व्याकरण, कला, ज्योतिष, वास्तु, बौद्ध परम्परा आदि की विविध धाराओं के साथ-साथ आधुनिक भौतिक विद्याओं  को एकीकृत कर *समग्र शिक्षा की परिकल्पना को साकार कर रहा है।
 
मैं उन सभी ज्ञानसाधकों, सम्माननीय शिक्षकों , शोधकर्ताओं , नीति-निर्माताओं तथा समाजहित में समर्पितजीवन-महानुभावों से हार्दिक आह्वान करती हूँ कि वे इस ज्ञान-यज्ञ में सहभागी बनें, और  नवजागरण की इस अमृतवेला में  आत्मनिर्भर, नैतिक ,सांस्कृतिक, आध्यात्मिक एवं सर्वविध-भौतिकशक्ति-सम्पन्न भारत के निर्माण में योगदान दें।
 
“संस्कृत सर्वत्र विकसित हो; भारतीय ज्ञान की प्रभा विश्व में प्रकाशमान हो।”
 

अशेषासु विद्यासु लब्धाधिकारा

धियं यत्र शिष्याः समुद्योतयन्ति।

कवीन्द्रैरूपास्यः कलामञ्जुलास्यः

सदा विश्वविद्यालयोऽयं विभाति।।

 
(आनंदी बेन पटेल)
 कुलाधिपति

 

Brief Introduction

(29 July 2019)

Smt. Anandiben Patel is an Indian politician and the current Governor of Uttar Pradesh and former Chief Minister of Gujarat, a western state of India. She was the first woman chief minister of the state. She is a member of the Bharatiya Janata Party since 1987. She was the Cabinet Minister for Education from 2002 to 2007.

 

Address : Raj Bhawan (Governor House), Lucknow
Phone : 0522-2236497 (8 Lines)
Fax : 0522-2239488
Email : hgovup@gov.in
Took Charge as the Governor of Uttar Pradesh on 29 July 2019
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